द्वितीय लैंगिक लक्षण विकसित होने की अवस्था में थे।
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इसी प्रकार वनस्पतिजगत् में भी फूलों की सुगंध, रंग, भड़कीलापन, फलोत्पादन आदि लैंगिक लक्षण होते हैं।
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इसी प्रकार वनस्पतिजगत् में भी फूलों की सुगंध, रंग, भड़कीलापन, फलोत्पादन आदि लैंगिक लक्षण होते हैं।
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इसी प्रकार वनस्पतिजगत् में भी फूलों की सुगंध, रंग, भड़कीलापन, फलोत्पादन आदि लैंगिक लक्षण होते हैं।
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वास्तव में किशोरावस्था में सेक्स हारमोंस के स्वाभाविक प्रवाह के कारण जब द्वितीयक लैंगिक लक्षण प्रकट होने लगते हैं तब ही से बालक “ स्त्री व पुरुष ” में वर्गीकृत होने लगते हैं..
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समय पूर्व द्वितीयक लैंगिक लक्षण पैदा होना, स्तन कैसर, बांझपन, पौरूष नष्ट होना और समय पूर्व बालों का सफेद होना सहित कई घातक बीमारियां सामने आती हैं, इसलिए पशुपालकों को इसके उपयोग से बचना चाहिए।
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इन प्रयोगों में यह पाया गया कि कीटों ने अपने शरीर के अनुसार नहीं अपितु मस्तक के अनुसार काम किया, अर्थात् नर मस्तकवाली मादाओं ने नर की भाँति तथा मादा मस्तकवाले नरों ने मादा की भाँति लैंगिक लक्षण प्रकट किए।
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इन प्रयोगों में यह पाया गया कि कीटों ने अपने शरीर के अनुसार नहीं अपितु मस्तक के अनुसार काम किया, अर्थात् नर मस्तकवाली मादाओं ने नर की भाँति तथा मादा मस्तकवाले नरों ने मादा की भाँति लैंगिक लक्षण प्रकट किए।
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इन प्रयोगों में यह पाया गया कि कीटों ने अपने शरीर के अनुसार नहीं अपितु मस्तक के अनुसार काम किया, अर्थात् नर मस्तकवाली मादाओं ने नर की भाँति तथा मादा मस्तकवाले नरों ने मादा की भाँति लैंगिक लक्षण प्रकट किए।
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आक्सीटोसिन नामक हारमोन जो कि गाय-भैंस का दूध उतारने के लिए दक्षिण एशिया देशों में बहुतायत में प्रयोग होता है इस इंजेक्शन के बेल वाली सब्जियों में तीव्र वृद्धि के लिए भी प्रयोग किये जाने से मनुष्यों में हारमोन असंतुलन बढ़ गया है जिस में मादा में तो द्वितियिक लैंगिक लक्षण जल्दी दिखने लगते हैं और साथ-साथ नरों में भी मादा के द्वितियिक लक्षणों का प्रदर्शन होता है ।